रामचरित मानस

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लंकाकाण्ड लक्ष्मण-रावण युद्ध दोहा : * निज दल बिकल देखि कटि कसि निषंग धनु हाथ। लछिमन चले क्रुद्ध होइ नाइ राम पद माथ॥82॥ भावार्थ:- अपनी सेना को व्याकुल देखकर कमर में ...

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